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छत्तीसगढ़ के पर्यावरण कार्यकर्ता एवं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला को 2024 गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के लिए चुना गया है। गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार, जिसे ग्रीन नोबेल के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया भर में जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे पर्यावरण चैंपियनों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।
हसदेव अरण्य वन की रक्षा के लिए आलोक शुक्ला और उनका कार्य -
हसदेव अरण्य को पर्यावरण के लिहाज से छत्तीसगढ़ का फेफड़ा माना जाता है। यह क्षेत्र कोयले से समृद्ध है और 2010 में सरकार ने कोयले के खनन के लिए निजी कंपनियों को दो कोयला ब्लॉकों की नीलामी की थी। वन क्षेत्र और उसके पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए आलोक शुक्ला ने हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की स्थापना की।
उन्होंने क्षेत्र के स्थानीय आदिवासी समुदायों को संगठित किया और हसदेव अरण्य में 21 प्रस्तावित कोयला खदानों की नीलामी की अपनी नीति को बदलने के लिए सरकार पर दबाव बनाने में सफल रहे। सरकार ने 2022 में क्षेत्र में कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी रद्द कर दी।
अब तक सात भारतीयों को गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है -
- मेधा पाटकर (1992) - मेधा पाटकर, 1992 में गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय थीं। वह नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़ी हुई हैं इन्होंने गुजरात में सरदार सरोवर बांध के निर्माण के खिलाफ लोगों को संगठित किया था। सरदार सरोवर परियोजना के कारण हजारों आदिवासी लोग विस्थापित हो गए थे और जंगलों और कृषि भूमि के विशाल क्षेत्र जलमग्न हो गए थे।
- एम. सी. मेहता (1996) - महेश चंद्र मेहता को भारत के ग्रीन वकील के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर कीं। उनकी याचिकाओं के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने कई महत्वपूर्ण पर्यावरण संबंधी निर्णय दिये जिसमें से प्रमुख हैं, ताज महल की सुरक्षा, भारत में सीसा रहित पेट्रोल की शुरूआत इत्यादि।
- रशीदा बी और चंपा देवी शुक्ला (2004) - रशीदा बी और चंपा देवी शुक्ला ने 1984 में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के कारण भोपाल में प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए अदालत में 2004 में एक याचिका दायर किया था। भोपाल गैस त्रासदी उस समय की विश्व में सबसे भयंकर औद्योगिक आपदा थी, जिसमें अनुमानित 15,000 लोगों की मौत हुई थी और लाखों लोगो प्रभावित हुए थे।
- रमेश अग्रवाल (2014) - रमेश अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास परियोजनाओं के बारे में सूचना के अधिकार की मांग करने के लिए ग्रामीणों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी प्रस्तावित कोयला खदानों में से एक को जन-दबाब बना कर उसे बंद करने में सफल रहे थे।
- प्रफुल्ल सामंतरा(2017) - प्रफुल्ल सामंतारा ने ओडिशा के नियमगिरि पहाड़ियों में वेदांता कंपनी की एल्यूमीनियम अयस्क खनन परियोजना को बंद करने और डोंगरिया कोंध जनजातियों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए एक सफल कानूनी लड़ाई लड़ी। नियमगिरि पहाड़ियाँ डोंगरिया कोंध ट्यूबों का पारंपरिक निवास स्थान हैं।
- आलोक शुक्ला(2024)
2024 गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के विजेता इस प्रकार हैं -
क्रमांक
| विजेता
| देश
| क्षेत्र
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1 | मार्सेल गोम्स
| ब्राजील
| दक्षिण और मध्य अमेरिका
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2 | मुर्रावाह मारूची जॉनसन
| ऑस्ट्रेलिया
| द्वीप और द्वीपीय राष्ट्र
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3 | आलोक शुक्ला
| भारत
| एशिया
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4 | टेरेसा विसेंट
| स्पेन
| यूरोप
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5 | एंड्रिया विडौरे
| संयुक्त राज्य अमेरिका
| उत्तरी अमेरिका
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6 | नॉनहले मबुथुमा और सिनेगुगु ज़ुकुलु
| दक्षिण अफ़्रीका
| अफ़्रीका
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गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार के विषय में -:-
- गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार की स्थापना सन 1989 में अमेरिकी दंपति रिचर्ड और रोडा गोल्डमैन द्वारा की गई थी।
- पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य जमीनी स्तर के पर्यावरण के लिए कार्यरत लोगों का सम्मान करना, पर्यावरणीय समस्याओं पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना और उस पर कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।
- प्रथम गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार की घोषणा 1990 में की गई थी।
- हर साल दुनिया के छह क्षेत्रों, अफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण और मध्य अमेरिका और द्वीप और द्वीपीय राष्ट्रों से जमीनी स्तर के पर्यावरण नेताओं का चयन किया जाता है।
- पुरस्कार की घोषणा प्रतिवर्ष पृथ्वी दिवस पर की जाती है।
- गोल्डमैन पुरस्कार जमीनी स्तर के नेताओं को स्थानीय प्रयासों में शामिल व्यक्तियों के रूप में परिभाषित करता है जहां समुदाय या नागरिक भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन पैदा होता है।